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मुनकर-नकीर कायनात-ए-ज़िन्दगी में इम्तेहान इस कदर द

मुनकर-नकीर 
कायनात-ए-ज़िन्दगी में इम्तेहान इस कदर दिए"नाज़िम" 
की तसव्वर-ए-ज़िन्दगी की तस्वीर धुँधली पड़ गई
चाहा था हमने जिसे अपने ज़िगर से,
वो इश्क-ए-बेबफा भी दागा कर गई।
उसकी यादो को कई बार मिटने की न-कामयाब कोशिश की 
और हर न-कामयाबी ने मेरे आश्क बहाने की कोशिश की,
तकलीफों का समंदर तो उस समय मिला 
जब हर इम्तेहान में न-कामयाबी का सहारा मिला।
एक बार मुलाकात इश्क -ए-मोहब्बत से हुई,
तब "नाज़िम"।
क्या पुरानी यादो को ज़ेहन में बसता
बे-गम  छोटी ज़िन्दगी है हँस कर बिताता,
जाते तो सभी रोते हुए है मुनकर-नकीर के पास
 थोड़ा समय मे उसकी यादो से खुद को निकलता।। #मुनकर-नकीर
#khnazim
मुनकर-नकीर 
कायनात-ए-ज़िन्दगी में इम्तेहान इस कदर दिए"नाज़िम" 
की तसव्वर-ए-ज़िन्दगी की तस्वीर धुँधली पड़ गई
चाहा था हमने जिसे अपने ज़िगर से,
वो इश्क-ए-बेबफा भी दागा कर गई।
उसकी यादो को कई बार मिटने की न-कामयाब कोशिश की 
और हर न-कामयाबी ने मेरे आश्क बहाने की कोशिश की,
तकलीफों का समंदर तो उस समय मिला 
जब हर इम्तेहान में न-कामयाबी का सहारा मिला।
एक बार मुलाकात इश्क -ए-मोहब्बत से हुई,
तब "नाज़िम"।
क्या पुरानी यादो को ज़ेहन में बसता
बे-गम  छोटी ज़िन्दगी है हँस कर बिताता,
जाते तो सभी रोते हुए है मुनकर-नकीर के पास
 थोड़ा समय मे उसकी यादो से खुद को निकलता।। #मुनकर-नकीर
#khnazim