जटिल बना दिया जिंदगी बहुत सरल थी, हमने इसे जटिल बना दिया । बालक जैसे अपने निष्कपट मन को, हमने बेवजह कपट का आँचल ओढ़ा दिया । गंगा के समान अपने पवित्र हृदय में, हमने ना जाने क्यूँ मैल का सागर बहा दिया । ख्वाहिशों की गठरी का बोझ ढोते-ढोते, हमने जीवन के सुख-चैन को खो दिया । अनावश्यक धन-दौलत सहेजने के लोलुपता में, हमने अपनों का वक़्त और प्यार गंवा दिया । भुजंग रूपी भ्रष्टाचार को समाज में आश्रय देकर, हमने अमृत समान ईमानदारी में भी विष मिला दिया । लक्ष्मी की महत्वता जग को समझाने के लिए, हमने सरस्वती को लक्ष्मी के रूप में ढाल दिया । ईश्वर के बनाए हुए इस प्रेम रूपी संसार में, हमने नफरत का एक और संसार बसा दिया । मनुष्य रूपी जीवन पाने के बाद भी, हमने बेवजह की लालसाओं के लिए खुद को इंसान से शैतान बना दिया ।। ©Avinash Lal Das #जटिल बना दिया#