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जटिल बना दिया जिंदगी बहुत सरल थी, हमने इसे जटिल

जटिल बना दिया 

जिंदगी बहुत सरल थी,
हमने इसे जटिल बना दिया ।
बालक जैसे अपने निष्कपट मन को,
हमने  बेवजह कपट का आँचल ओढ़ा दिया ।
गंगा के समान अपने पवित्र हृदय में,
हमने ना जाने क्यूँ मैल का सागर बहा दिया ।
ख्वाहिशों की गठरी का बोझ ढोते-ढोते,
हमने जीवन के सुख-चैन को खो दिया ।
अनावश्यक धन-दौलत सहेजने के लोलुपता में,
हमने अपनों का वक़्त और प्यार गंवा दिया ।
भुजंग रूपी भ्रष्टाचार को समाज में आश्रय देकर,
हमने अमृत समान ईमानदारी में भी विष मिला दिया ।
लक्ष्मी की महत्वता जग को समझाने के लिए,
हमने सरस्वती को लक्ष्मी के रूप में ढाल दिया ।
ईश्वर के बनाए हुए इस प्रेम रूपी संसार में,
हमने नफरत का एक और संसार बसा दिया ।
मनुष्य रूपी जीवन पाने के बाद भी,
हमने बेवजह की लालसाओं  के लिए खुद को इंसान से शैतान बना दिया ।।

©Avinash Lal Das #जटिल बना दिया#
जटिल बना दिया 

जिंदगी बहुत सरल थी,
हमने इसे जटिल बना दिया ।
बालक जैसे अपने निष्कपट मन को,
हमने  बेवजह कपट का आँचल ओढ़ा दिया ।
गंगा के समान अपने पवित्र हृदय में,
हमने ना जाने क्यूँ मैल का सागर बहा दिया ।
ख्वाहिशों की गठरी का बोझ ढोते-ढोते,
हमने जीवन के सुख-चैन को खो दिया ।
अनावश्यक धन-दौलत सहेजने के लोलुपता में,
हमने अपनों का वक़्त और प्यार गंवा दिया ।
भुजंग रूपी भ्रष्टाचार को समाज में आश्रय देकर,
हमने अमृत समान ईमानदारी में भी विष मिला दिया ।
लक्ष्मी की महत्वता जग को समझाने के लिए,
हमने सरस्वती को लक्ष्मी के रूप में ढाल दिया ।
ईश्वर के बनाए हुए इस प्रेम रूपी संसार में,
हमने नफरत का एक और संसार बसा दिया ।
मनुष्य रूपी जीवन पाने के बाद भी,
हमने बेवजह की लालसाओं  के लिए खुद को इंसान से शैतान बना दिया ।।

©Avinash Lal Das #जटिल बना दिया#

#जटिल बना दिया# #विचार