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चलो तुम्हे माफ किया... तरसती है आंखे तेरे दीद

    चलो तुम्हे माफ किया...

तरसती है आंखे तेरे दीदार के लिए
ताउम्र के लिए तुझे खोने का दर्द छिपाए बैठे है..!     चलो तुम्हे माफ किया...

तुम कहते हो, कि मैंने सच छिपाया
पर क्या कभी तुम समझ पाए
उस सच के पीछे की मेरी पीड़ा,
जो मेरे दिल पे जाने कितने घावों का सबब है..!
मैंने छिपाया तुमसे वो सच
जिससे मैं तुम्हे उस दर्द से बचा सकूं
    चलो तुम्हे माफ किया...

तरसती है आंखे तेरे दीदार के लिए
ताउम्र के लिए तुझे खोने का दर्द छिपाए बैठे है..!     चलो तुम्हे माफ किया...

तुम कहते हो, कि मैंने सच छिपाया
पर क्या कभी तुम समझ पाए
उस सच के पीछे की मेरी पीड़ा,
जो मेरे दिल पे जाने कितने घावों का सबब है..!
मैंने छिपाया तुमसे वो सच
जिससे मैं तुम्हे उस दर्द से बचा सकूं

चलो तुम्हे माफ किया... तुम कहते हो, कि मैंने सच छिपाया पर क्या कभी तुम समझ पाए उस सच के पीछे की मेरी पीड़ा, जो मेरे दिल पे जाने कितने घावों का सबब है..! मैंने छिपाया तुमसे वो सच जिससे मैं तुम्हे उस दर्द से बचा सकूं