वो यादें अब यादें बनकर राह गई है.. जब पाठशाला की छुट्टी होती थी.. तब महोल्ले के सारे बच्चे.. छत पर पतंग उड़ाना.. वो पतंग के लिए.. नानी या दादी के पास.. पैसे के लिए ज़िद करना.. जैसे पैसे मिलते ही..ख़ुशी से.. दुकान जाकर अच्छे वाला पतंग को लाकर.. अपने गली के सारे बच्चे.. छत पर.. पतंग उड़ाना.. और उस पतंग को डील देकर. . उस कटे हुए पतंग के लिए.. मोहल्ले पूरा दौड़ लगाना.. कहां गए वो..दिन.. कहां गए यादें.. अब सिर्फ वो यादें.. यादें बनकर रहगाई है! #yqbaba #yqdidi #yqthoughtsoflife #thoughtsofheart #purani_yaadein #dilkekareeb #lalithasai आज भी मैं..बच्चों की तरह.. बच्चों के साथ.. हर खेल खेलने के लिए पसंद करती हूं.. गिल्ली डंडा.. याद है.. और yes by dabba.. और.. छुपन छुपाई..