पता नही वो कौन थी? हाँ लेकिन बदतामिज तनिक भी नही थी,
एकदम सीधी -साधी सी लड़की थी भारतीय पहनावे और संस्कार को सम्मान -मान देती,
दुपट्टा तो ऐसे संभालती थी जैसे वो सबकुछ जानती हो कि उसके माँ -बाप ,भाई की ईज्जत वही है!
सहमी सी है किसी से कोई बात नही करती बस कोई कुछ बोलता तो मुस्कुरा देती थी!
मैने बात करने की कोशीश की पहले तो हिचकिचाई फिर ना जाने क्या हुआ स्वयं बतलाने लगी
मैं कुछ पूछता उससे पहले अपनी आप-बीती सुनाने लगी ,अब वो थोडा़ खुलकर मुझसे बात किया,मेरा भी ध्यान अब उसकी तरफ पूर्णतः आकर्षित हो चुका था और तभी जो मैने देखा आश्चर्य से भर गया,
"जला हुआ चेहरा उसका"
जिसे वो अपने दुपट्टे से छुपाती रहती थी,यह जलने का दाग उसके जन्म से नही मिला बल्कि समाज़ से मिला है ,हां समाज़ से .....