है छुपा जो राज़ दिल में, राज़ रहने दो ... जो सुकूँ ना दे सके, वो साज़ रहने दो..... लोग अक्सर रूठ जाते हैं ख़ुदा से भी... तो चलो नाराज़ को, नाराज़ रहने दो..... खूब वाकिफ़ हैं तुम्हारे, पैंतरों से हम.... तुम यहाँ ये दोमुंहा , अंदाज रहने दो.... ग़र जो मरहम है नहीं, तो ना सही बेशक.... जख़्म देते हों, वो तुम अल्फ़ाज रहने दो.... आज मिलकर बात कर लें, एक दूजे की.... तुम जमाने भर की बातें, आज रहने दो.... बाँह में भरकर जो तुम, खंज़र चलाते हो... दोस्त हो तो दोस्ती की, लाज रहने दो... ये कलम ज़ालिम को बस, ज़ालिम पुकारेगी.... तुम मेरे मुँह में मेरी, आवाज़ रहने दो.... तो चलो नाराज़ को नाराज़ रहने दो.... तो चलो नाराज़ को नाराज़ रहने दो.... #Naaraj rhne do