डुबाती होगी इंसानों को शराब अभी तो लहरों में नोका समान है हे मधुशाला हे मदिरालय देखी तेरी दिवानगी आज जान हथेली पर ले खड़े सामने चाहने वाला आज सुना था गम की दवा हो घर झगड़े का कारण हों समय ने बतलाया हमे कि #अर्थव्यवस्था के पहिये हो 【✍️ #आशीष_गुप्ता】 #🥃🍺🥃🍺