एक अरसे बाद आज तुम्हारा खत आया, खुशी से उछल पड़ी,और मन ही मन झगड़ती भी रही तुमसे,,आज याद आयी हमारी, हफ्ते में एक खत के वादे को बरसों में बदल दिया,, मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करुंगी,, , फिर खुद ही मुस्कुराती हुई , दिल की धड़कन को थामते हुए , चुपचाप कोने में जाकर, लिफाफे को खोला,,तो आंसू की लड़ियों से तुम दोनों की तस्वीरें गीली हो गई । जाओ मैंने माफ किया । ©Manisha Mishra पन्ने