जिन्दगी मे अपनी, आग लगाई हमने। महबूबा को खरी खोटी सुनाई हमने।। जो उल्फत के लम्हे देते रहे मुझे। हाय!नफरत की नवाज दिलाई हमने।। गम का भार दिल पर छा गया है मेरे। कोशिश ए रिझाने मे खता भुलाई हमने।। बन सके माहौल प्यार का जीवन मे हमारे। रिझाने को स्वयं को कसम खिलाई हमने।। ©Deoprakash Arya खरी खोटी #26/11