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भेड़ों को कानून का बड़ा आग्रह था, उन्होंने माना था क

भेड़ों को कानून का बड़ा आग्रह था,
उन्होंने माना था कि ये
अरसे बाद आया प्रजातंत्र है,
क्षमा, पहला लोकतंत्र है जिसने
भेड़ों का बाड़ा, बिना भाड़ा खोला है!
हालांकि कहीं जिक्र नहीं है कि
भेड़ियों का नाडा कितना ढीला है।
जो न जाने वो नादान हैं कि
सबसे बड़े शिकारी सत्ताधारी हैं,
जो न जाने वो बेईमान हैं कि
सबसे बड़े खिलाड़ी सत्ताधारी हैं।
गणित है तो चिन्हित हैं।
जब आराधक/ऋषि/पुजारी
राम के वकील कहाने लगे,
कीर्तन मंडली वाले हरिनाम छोड़
धाराएं व संदर्भ गाने लगे तब 
हमने समझा कि
कमोट से लेकर प्लूटो तक
अब कानून का ही राज है और
उपासक अपने इष्ट के ही नहीं,
जच्चा-बच्चा के संबंध भी
व्यवस्था की तोल-माप है।
एक नया एग्रीमेंट तना है,
गर्भस्थ शिशु अगर क्षति दे
तो माँ के लिए निर्देश बना है,
स्तनपान में कटौती हो और
अगर प्राण चले जाते हैं तो
पिता को उम्रकैद की पनौती हो! प्रभु के वकील
भेड़ों को कानून का बड़ा आग्रह था,
उन्होंने माना था कि ये
अरसे बाद आया प्रजातंत्र है,
क्षमा, पहला लोकतंत्र है जिसने
भेड़ों का बाड़ा, बिना भाड़ा खोला है!
हालांकि कहीं जिक्र नहीं है कि
भेड़ियों का नाडा कितना ढीला है।
जो न जाने वो नादान हैं कि
सबसे बड़े शिकारी सत्ताधारी हैं,
जो न जाने वो बेईमान हैं कि
सबसे बड़े खिलाड़ी सत्ताधारी हैं।
गणित है तो चिन्हित हैं।
जब आराधक/ऋषि/पुजारी
राम के वकील कहाने लगे,
कीर्तन मंडली वाले हरिनाम छोड़
धाराएं व संदर्भ गाने लगे तब 
हमने समझा कि
कमोट से लेकर प्लूटो तक
अब कानून का ही राज है और
उपासक अपने इष्ट के ही नहीं,
जच्चा-बच्चा के संबंध भी
व्यवस्था की तोल-माप है।
एक नया एग्रीमेंट तना है,
गर्भस्थ शिशु अगर क्षति दे
तो माँ के लिए निर्देश बना है,
स्तनपान में कटौती हो और
अगर प्राण चले जाते हैं तो
पिता को उम्रकैद की पनौती हो! प्रभु के वकील