युं मूर्त रूप दे अमूर्त सा बन जाना तेरा.... कीर्ति की कलश सा चौखट पर सज जाना तेरा..... कबीर के पद् मे दोहा सा रम जाना तेरा.... सब अचल - विचल छोड़.... मिश्री की तरह मुझमें घुल जाना तेरा,,,, बाद में सारे अश्कों को खाली मेरे हिस्से मे छोड़ जाना तेरा,,, हाँ....... मुझे सब याद हैं!! उस बिन मौसम बरशात की हर एक आँखिरी बारिश भी याद हैं तेरी। #kaid ek awaz.. ©Nishu Maurya.....(Arjnii) #baarish #hindi.... #kaidEkAwaz #steps