हवा से बातें करना हमें अच्छा लगता है | कभी बिना बात संवरना हमें अच्छा लगता है | जहां जाने से बचपन की यादें ताज़ा होती हैं उन गलियों से गुज़रना हमें अच्छा लगता है | सुबह सुबह जब ओस की बूँदें घास पे गिरती हैं तब गीली घास पे चलना हमें अच्छा लगता है | यूँ तो तेज़ रफ़्तार से ज़िन्दगी चलती रहती है कभी थोड़ा बहुत ठहरना हमें अच्छा लगता है | जब लफ्ज़ नहीं मिलते 'सेठी' को तारीफ बयां करने के ऐसे में फिर ज़बान फिसलना हमें अच्छा लगता है | #udhaarkelafz #dpf #poetry