एक इन्तजार उन चार पलों का... जिसके बाद जुदाई है... ये कैसा प्यार है.........ओ राधे ये किसने रीत बनाई है.... पल पल बीत रहा है गिन गिन... जाने कब आएगा वो दिन.... नैन मिलेंगे.... तन झूमेगा... कह देंगे सबकुछ बोले बिन.... आँखें कह देंगी आँखों से... बिन सोये... बिन रोये जाने.... कितनी रैन बितायी है.... ये कैसा प्यार है.........ओ राधे ये किसने रीत बनाई है.... रोज पूछता है मेरा मन.... बिन राधे के कैसा जीवन... सूनापन सा बिखरा हुआ है.. बिन बरखा के जैसे सावन... मिलकर तुमसे सूनी आँखें... खुद कह देंगी...कैसे बरसों... दिल की प्यास बुझाई है..... ये कैसा प्यार है.........ओ राधे ये किसने रीत बनाई है.... #Radhe prem