हो रहा हैं स्वार्थ सिद्ध मनुष्य का सूख रही हैं नवसृजित कलियाँ क्रोध चरम पर हैं प्रकृति का मनुष्य का विवेक क्षीण हुआ कर शर्मसार प्रकृति को मनुष्य ने ही कलयुग को बुलाया •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़-२ •☆• 《हिंदी चैलेंज १६》 नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में लिख सकते हैं। २. आप चाहें तो कितनी भी लंबी रचना लिख सकते हैं, अनुशीर्षक में भी लिख सकते हैं।