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मेरे इश्क़ की इबारत किसी और ने लिखी थी, मैं अगले

मेरे इश्क़ की इबारत किसी और ने लिखी थी, 
मैं अगले हर कदम से अंजान था,
दिया जब जहर उसने मुझे मुहब्बत मे मिला के, 
मैं उसके कतिल़ इरादों से अन्जान था, 
आज़ जब दफ्ऩ हूँ दो गज जमीन के नीचे,
तो इत्मिनान से सोचता हूँ, 
कौन था वो शायर मेरी दास्ताने मोहबब्त का, 
जिससे मैं हरदम अन्जान था।। 

#अंकित सारस्वत# #अन्जान
मेरे इश्क़ की इबारत किसी और ने लिखी थी, 
मैं अगले हर कदम से अंजान था,
दिया जब जहर उसने मुझे मुहब्बत मे मिला के, 
मैं उसके कतिल़ इरादों से अन्जान था, 
आज़ जब दफ्ऩ हूँ दो गज जमीन के नीचे,
तो इत्मिनान से सोचता हूँ, 
कौन था वो शायर मेरी दास्ताने मोहबब्त का, 
जिससे मैं हरदम अन्जान था।। 

#अंकित सारस्वत# #अन्जान