ज़िस्म में तेरे जाने कहाँ तक है मेहरबान खुशबु, लबों की सुर्खियों, आँखों की अदाओं की जान खुशबु! — % & बदन से खिसकता है जब जब लिबास उँगलियों से, मत पूछ क्या होता है हाल, ले जाती जान खुशबु! हक़ दिया तूने, या लिया मैंने, क्या फर्क़ दोनों में, तुझपे निसार मेरा वज़ूद, दियानत, वफ़ा, शान खुशबु! कदम बहकते हैं जज़्बात के रास्ते में, कर यकीन मेरा, मुझे खींच लाती है तेरी ओर, जैसे कोई मकान खुशबु!