छोड़ गई तुम मुझको जैसे जाती हैं नदियां तमाम किनारों को छोड़ कर जैसे पंख संवर जाए तो, पक्षी घोंसला छोड़ कर। जैसे मंजिल मिल जाए तो राही रास्ता छोड़ कर। कि जैसे जिंदगी से हारा, जिंदगी छोड़ कर। चली गई मुझको भटकता छोड़ कर। की रह जाती हैं यादें तमाम वो किनारों पर निशान जो काटा था बाढ़ के पानी ने वो कोमल पंख जो टूट गए थे पहली उड़ान की कोशिश में या वो मील का पत्थर जिस पर लिखी बातें तमाम जो बताती थी मंजिल का पता आशु अकेला ©AshuAkela #kahani #Trending #LO√€ #statuslover #adhuraishq #mukhota