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वक़्त की रेत, क़ैद कब हुई है हाथों में..! पिघलते हैं

वक़्त की रेत,
क़ैद कब हुई है हाथों में..!
पिघलते हैं वो ही,
जो बहके हैं जज़्बातों में..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #delicate #Kaid