शहर की लड़की एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा; बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा; टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने; अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा। 007