मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी!
एक बार फ़िर से वही बाजारों में रोनक होगी, वही चहल - पहल होगी, वही ढकेल पे फ़िर से गोलगप्पे और चांट की महक होगी, वही फ़िर से समोसों और कचौड़ियों की दुकानों पे लोगों की भीड़ होगी।
और वो सुबह भी होगी जब मां अपने बच्चों को स्कूल के लिए
एक बार फ़िर से तैयार करेगी और बैग लिए बच्चे स्कूल की बस
का इंतज़ार करेंगे,