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मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी! एक ब

मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी!

एक बार फ़िर से वही बाजारों में रोनक होगी, 
वही चहल - पहल होगी, 
वही ढकेल पे फ़िर से गोलगप्पे और चांट की महक होगी,
 वही फ़िर से समोसों और कचौड़ियों की दुकानों पे लोगों की भीड़ होगी।

और वो सुबह भी होगी जब मां अपने बच्चों को स्कूल के लिए 
एक बार फ़िर से तैयार करेगी और बैग लिए बच्चे स्कूल की बस
 का इंतज़ार करेंगे,

और शाम होते ही गलियों में बच्चे हाथ में बैट लिए एक बार फ़िर से 
वही अपने चौके- छक्कों से पड़ोसियों के खिड़कियों के कांच तोड़ेंगे।

वही मंदिर, मस्ज़िद, गुरुद्वारा, चर्च एक बार फ़िर से सजे होंगे,
एक बार फ़िर भक्तों की लम्बी कतार होगी।

ना कोई सांसों पे पहरा होगा और ना कोई मास्क का चेहरा होगा,
एक बार फ़िर से ज़िन्दगी की गूंजती हसीं होगी, 

मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी!

©Gunjan Rajput मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी!

एक बार फ़िर से वही बाजारों में रोनक होगी, वही चहल - पहल होगी, वही ढकेल पे फ़िर से गोलगप्पे और चांट की महक होगी, वही फ़िर से समोसों और कचौड़ियों की दुकानों पे लोगों की भीड़ होगी।

और वो सुबह भी होगी जब मां अपने बच्चों को स्कूल के लिए 
एक बार फ़िर से तैयार करेगी और बैग लिए बच्चे स्कूल की बस
 का इंतज़ार करेंगे,
मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी!

एक बार फ़िर से वही बाजारों में रोनक होगी, 
वही चहल - पहल होगी, 
वही ढकेल पे फ़िर से गोलगप्पे और चांट की महक होगी,
 वही फ़िर से समोसों और कचौड़ियों की दुकानों पे लोगों की भीड़ होगी।

और वो सुबह भी होगी जब मां अपने बच्चों को स्कूल के लिए 
एक बार फ़िर से तैयार करेगी और बैग लिए बच्चे स्कूल की बस
 का इंतज़ार करेंगे,

और शाम होते ही गलियों में बच्चे हाथ में बैट लिए एक बार फ़िर से 
वही अपने चौके- छक्कों से पड़ोसियों के खिड़कियों के कांच तोड़ेंगे।

वही मंदिर, मस्ज़िद, गुरुद्वारा, चर्च एक बार फ़िर से सजे होंगे,
एक बार फ़िर भक्तों की लम्बी कतार होगी।

ना कोई सांसों पे पहरा होगा और ना कोई मास्क का चेहरा होगा,
एक बार फ़िर से ज़िन्दगी की गूंजती हसीं होगी, 

मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी!

©Gunjan Rajput मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी!

एक बार फ़िर से वही बाजारों में रोनक होगी, वही चहल - पहल होगी, वही ढकेल पे फ़िर से गोलगप्पे और चांट की महक होगी, वही फ़िर से समोसों और कचौड़ियों की दुकानों पे लोगों की भीड़ होगी।

और वो सुबह भी होगी जब मां अपने बच्चों को स्कूल के लिए 
एक बार फ़िर से तैयार करेगी और बैग लिए बच्चे स्कूल की बस
 का इंतज़ार करेंगे,

मुस्कुराएगा मेरा भारत और फ़िर वही सुबह होगी! एक बार फ़िर से वही बाजारों में रोनक होगी, वही चहल - पहल होगी, वही ढकेल पे फ़िर से गोलगप्पे और चांट की महक होगी, वही फ़िर से समोसों और कचौड़ियों की दुकानों पे लोगों की भीड़ होगी। और वो सुबह भी होगी जब मां अपने बच्चों को स्कूल के लिए एक बार फ़िर से तैयार करेगी और बैग लिए बच्चे स्कूल की बस का इंतज़ार करेंगे,