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तैहरती थी मेरी कश्ती समुद्र के उस मुकाम पर जहा मंज

तैहरती थी मेरी कश्ती समुद्र के उस मुकाम पर जहा मंजिल मिलने वाली थी मेरी मेहनत के दाम पर दुश्मन ने पलटी है कश्ती समुद्र कि लहरो के मुकाम पर ऐ दुश्मन आने वाला हु मै लहरो के साथ मे तुझे और तेरी बस्ती ले जाऊगा साथ मे,,

©Gurpreet Singh प्रीत कि कलम 
  किसी को नाकाम मत करो खुद को कामयाब करो,,

किसी को नाकाम मत करो खुद को कामयाब करो,, #ज़िन्दगी

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