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विडंबना अजीब है। मानवता क्यों निर्जीव है। संकुचित

विडंबना अजीब है।
मानवता क्यों निर्जीव है।
संकुचित संर्कीण मानसिकताओं का।
मनुष्य एक जीव है। कुछ अनुभव ये अहसास भी कराते हैं।
विडंबना अजीब है।
मानवता क्यों निर्जीव है।
संकुचित संर्कीण मानसिकताओं का।
मनुष्य एक जीव है। कुछ अनुभव ये अहसास भी कराते हैं।