पल्लव की डायरी समेटे हुये जज्बात बहकती मन की डोर है जंग बना कर जिंदगी की पिछड़ रहे हम चहुँ ओर है ख्वाव सब बुलंदियो के नोक झोको से रिश्ते होते सब बदरंग है कलह हर परिवारो में प्रेम और विश्वास की प्रीती होती कमजोर है हर सख्त अपनी जिंदगी सुरक्षित करने में राष्ट समाज परिवारों का भरपूर करता दोहन है सर्वे भवन्तु सुखना सर्वे भवन्तु निरामया की अवधारणा भारत मे अब दम तोड़ती चहुँ और है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" जंग बनाकर जिंदगी को पिछड़ रहे चहुँ और है #Dhanteras