हम जिंदगी की असलियत से बेखबर जिंदगी को क्रम से चलाने लगे है । ये मिलेगा , तो फिर वो करेंगे वो मिलेगा , तो वो करेंगे । पर इस क्रम में भूल गए , कि क्रम से लकीरें तो बन सकती है जिंदगी नहीं। जिंदगी की उम्र थोड़ी है जनाब , जिंदगी को समानांतर जिलों मेरे यार ये भी साथ , वो भी साथ समस्या भी और समाधान भी साथ । जिंदगी की मुश्किलें कम हो जाएगी । ©Hemant Kumar mitra #जिंदगी #हेमंतकुमारमित्र #hemantkumarmitra