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ना सजती थीं, ना सँवरती थीं इक बस उसके आ जाने से खि

ना सजती थीं, ना सँवरती थीं
इक बस उसके आ जाने से
खिलती थीं,
श्रिंगार नहीं आता था
तो बस इत्र लगा खुश होती थीं
लाख बार बस उसी का नाम ज़ुबान
पर लिए उसकी राह तकती थीं
लोग कहते थे जाने वाले आते नहीं
बस भूल जाते है
और मैं दुनिया को झूठा बता कर बस
उसी से प्यार करती थीं
क्या पता था इस बरस का सावन
सब वहम धो देगा
जो दूर हो कर पास लगता था
उसे बहुत दूर कर देगा । #bhavyamehta
ना सजती थीं, ना सँवरती थीं
इक बस उसके आ जाने से
खिलती थीं,
श्रिंगार नहीं आता था
तो बस इत्र लगा खुश होती थीं
लाख बार बस उसी का नाम ज़ुबान
पर लिए उसकी राह तकती थीं
लोग कहते थे जाने वाले आते नहीं
बस भूल जाते है
और मैं दुनिया को झूठा बता कर बस
उसी से प्यार करती थीं
क्या पता था इस बरस का सावन
सब वहम धो देगा
जो दूर हो कर पास लगता था
उसे बहुत दूर कर देगा । #bhavyamehta
bhavyamehta3465

Bhavya Mehta

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