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// कुछ नज़र नही आता था दीवार के उस पार चारदीवारी



 // कुछ नज़र नही आता था
दीवार के उस पार
चारदीवारी में बन्द मैं
सोचती थी दिन रात //

पूरी कविता अनुशीर्षक में
 
खिड़की

कुछ नज़र नही आता था
दीवार के उस पार
चारदीवारी में बन्द मैं
सोचती थी दिन रात
खिड़की भी नही थी


 // कुछ नज़र नही आता था
दीवार के उस पार
चारदीवारी में बन्द मैं
सोचती थी दिन रात //

पूरी कविता अनुशीर्षक में
 
खिड़की

कुछ नज़र नही आता था
दीवार के उस पार
चारदीवारी में बन्द मैं
सोचती थी दिन रात
खिड़की भी नही थी
anujjain6116

Anuj Jain

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