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तिल-गुड़ चावल-दाल के, व्यंजन दिखे अनेक। धनु से आए म

तिल-गुड़ चावल-दाल के, व्यंजन दिखे अनेक।
धनु से आए मकर में,     भानु त्याग सब टेक।।
सूर्य शनि के मिलन का,     अद्भुत मिलन प्रसंग।
तिल-गुड़ जैसा सब मिलें, मन से मन तज व्यंग।।
छोटी होती दिख रही,     अब से काली रात।
रोक सका कब कौन है,  होता हुआ प्रभात।।
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं..

©डॉ. बृजेश
  #मकर_संक्रान्ति_की_शुभकामनाएं