आज नहीं अभी नहीं, वह कल आता,कभी नहीं, सोच सोच के दिन हम यूं ही गंवाए, जी लो,इससे पहले, जिंदगी थम सी जाए। जो तुम्हें खुशी दे, खुद को, वह करने से रोकना नहीं, यह दुनिया क्या कहेगी, तुम यह सब सोचना नहीं, छोटी सी जिंदगी हमारी सोचने में क्यों बिताएं, जी लो,इससे पहले जिंदगी थम सी जाए। हम सभी मुसाफिर हैं, जिंदगी के इस नगर में, किसी के चेहरे की मुस्कुराहट बनना, हो सके तो इस सफर में, जाने अगला लम्हा उनकी दुआ से खास हो जाए, जी लो, इससे पहले जिंदगी थम सी जाए।। दीपाली कालरा - हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें। 2 वर्ष पहले 1 विज्ञापन ugc form विशेष poet mystic widow life book review in hindi पोएट, मिस्टिक, विडो, वाइफ: आखिर क्यों महिलाओं से ही बदलने की उम्मीद हो ravindra kalia जब कालिया जी से कहा पत्नी को 'हार्ट अटैक' हो गया है और सौ रुपए तुरंत चाहिए नाटक का मंचन विलियम शेक्सपियर की कविता: सारी दुनिया एक रंगमंच है संत कबीर अवधूत कबीर विद्रोह से शुरू होते हैं और प्रेम पर मुक्त होते हैं... Kaifi Azmi Ghazal: कैफ़ी आज़मी की ग़ज़ल 'आज सोचा तो आँसू भर आए, मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए' Swayam srivastava : रात कल कंगन खनकने की वजह से, नव वधू नजरें बचाकर चल रही थी आज के शीर्ष कविShow all Santosh Santosh Barmaiya 6 कविताएं View Profile Sonu Sonu singh 42 कविताएं View Profile Sooba Sooba Lal 296 कविताएं View Profile Nilesh निलेश नागर View Profile Sadik सादिक खान View Profile अनिल चतुर्वेदी View Profile Boddula Murali 2 कविताएं View Profile Hari Shankar 6449 कविताएं View Profile Dn Chaubey 4574 कविताएं View Profile Recommended आज का विचार: हजारीप्रसाद द्विवेदी Kavya Desk काव्य डेस्क आज का विचार: हजारीप्रसाद द्विवेदी Aaj Ka Vichar "तुममें सत्य के प्रति जितनी आस्था है, उससे अधिक भय और संकोच है, भय और संकोच तुम्हें सत्य का पक्ष नहीं लेंगे देंगे” ~ हजारीप्रसाद द्विवेदी और पढ़ें 14 minutes ago आज का शब्द: अनुरंजित और भगवतीचरण वर्मा की कविता- तुम छवि की परिणीता सी काव्य डेस्क Aaj Ka Shabd 'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शभ्द है- अनुरंजित, जिसका अर्थ है- जिसका अनुरंजन हुआ हो, जिसका दिल बहलाया गया हो। प्रस्तुत है भगवतीचरण वर्मा की कविता- तुम छवि की परिणीता सी तुम मृगनयनी, तुम पिकबयनी तुम छवि की परिणीता...और पढ़ें 14 minutes ago Motivational Poetry: उत्साह और प्रेरणा से भीरी वीरेन्द्र वत्स की 2 चुनिंदा कविताएं काव्य डेस्क Kavita 1- तू जीत के लिए बना प्रचंड अग्निज्वाल हो अपार शैलमाल हो तू डर नहीं सिहर नहीं तू राह में ठहर नहीं ललाट यह रहे तना तू जीत के लिए बना तू जोश से भुजा चढ़ाऔर पढ़ें ©Simran Koli #andhere