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पत्र तुमको लिखा यह खता थी मेरी तुम जो समझे नहीँ

 
पत्र तुमको लिखा यह खता थी मेरी 
तुम जो समझे नहीँ वो वफा थी मेरी 
रात को जागकर मैंने  उसको लिखा 
नीर- नयनों में भरकर उसको है रचा 
उसने  अक्षर नहीँ  मेरे  अहसास  थे 
जिन्हें समझे ना तुम वो ख्यालात थे 
तुमको सबही है यारा ओ झूठा लगा 
कौन कितना है टूटा ये भी ना दिखा 
आज आती  हँसी  तेरी हर सोच पर 
तूने जो भी किया उस हसीं खेल पर 
मैंने जैसा था सोचा तू वैसा ना मिला 
साथ रहकर मेरे ही तू दगा कर  गया 
क्या कहूँ मैं सनम उस अजब खेल पे 
जिसमें  खंजर अनौखा मुझी पे चला 
दर्द को सह गया मैंने उफ्फ भी न की 
ना ही  आँसू  बहाए ना मिन्नत ही की
तू  मेरी थी  चाहत बस इतना हीं सुन 
ना मैं हर्गिज कहूँ कि मुझॆ  ही तू चुन 
मैं वफा ,इश्क, यारा और अहसास हूँ 
जिस तलक तू न पहुंचे  वो  ख्वाब हूँ 
दिल यह अपना हवाले अब कान्हा के
उनको चरणों में रहता मैं इक दास हूँ

©ANOOP PANDEY
  #पत्र💚
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ANOOP PANDEY

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