हम ग़ालिब से भी कहते है, हम रक़ीब से भी मिलते है. हम बिजलियों से भी लड़ते है, हम बादल से भी गरजते है. बहा न ले जाए नदियाँ ग़मो के लहेरो से, बचाव के लिए पर्वतों से हम वास्ता भी रखते है. बचाव के लिए पर्वतों से हम वास्ता भी रखते है.