अजीब सी दोहरी ज़िन्दगी हो गई है किसी के साथ गम की नुमाइश, तो किसी के साथ खुशी की आजमाइश हो गई है। लाख जतन करने के बाद भी किसी के लबों पे मुस्कुराहट नहीं आ पाती, महज हज़ार मन्नते कर लेने से किसी कि इच्छाएं मुक्कमल नहीं हो पाती। रूप रंग ऐसे हो गए हैं किसी के सामने कुछ तो , किसी के सामने अलग ढंग हो गए हैं। इस राह पे अभी कोई साथ है तो , तो को कल इसी राह पे कोई और नई बात हो गई, ज़िन्दगी जीने के ढंग नए , लहजे नए और नए जज़्बात हो गए, ना जाने क्या इस दोहरी ज़िन्दगी के अल्फ़ाज़ हो गए कोई एक सा ना है और ना हो सकेगा , सबके चेहरे अलग और अलग पहचान हो गए इस दोहरी ज़िन्दगी के अलग अलग अंदाज़ हो गए । किसी के सपने अपने हो गए तो , किसी के अपने सपने बन कर रह गए, जाने क्या इस दोहरी ज़िन्दगी के अल्फ़ाज़ हो गए।