खुद्दार मेरे शहर का फा़कों से मर गया, राशन जो मिल रहा था, वो अफसर के घर गया, चढ़ती रही मज़ार पर, चादरें तो बेसुमार, बाहर जो इक फ़क़ीर था, सर्दी से मर गया। रोटी अमीर-ए-शहर का कुत्तो ने छीन ली, फ़ाक़ा गरीब-ए-शहर के बच्चों में बट गया, चेहरा बता रहा था, मरा है भूख से, मगर हाकिम ने कह दिया कि कुछ खा के मर गया।। -@bhi . ©Abhishek Chaurasiya Khuddar. #New #new_post #Trending #HUmanity #Like #Love #viral #new_poetry #love❤