किस्मत अक्सर ही हम रोना रोते रहते हैं अपनी फूटी किस्मत का चाहे हमको मिला हो कितना भी, अधिक क्यों न ! नही होता आत्म संतोष कभी भी हमको चाहते ही हैं - और अधिक, और अधिक । _ऋतिका सूर्यवंशी.. #किस्मत