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प्रकृति की गोद में हम झूला झूलते हैं आगे जाना पीछे

प्रकृति की गोद में
हम झूला झूलते हैं
आगे जाना पीछे जाना
यही है संतुलन पाना
इस संतुलन से दुनिया कायम है
स्थायित्व की चाहना छोड़ो

©Mohan Sardarshahari
  आना जाना संतुलन है

आना जाना संतुलन है #प्रेरक

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