यादों में लिपटे गुलाब, मुरझा रहे हैं धीरे धीरे..!

यादों में लिपटे गुलाब,
मुरझा रहे हैं धीरे धीरे..!
चित्त की चिता जलती मेरी,
देखो यमुना तीरे..!
ख़्वाहिशों के अंत का,
आरंभ कैसा ये हुआ..!
तमस में जा घिरे,
भाग्य के बेशक़ीमती हीरे..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #HappyRoseDay #yadonmeliptegulab
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