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जीवन है जन्म-मरण के बीच का खेला, चलता रहता यूं ही

जीवन है जन्म-मरण के बीच का खेला, चलता रहता यूं ही रेला।
कभी गमों के सागर जैसा, कभी होता है यहां खुशियों का मेला।

पहली अवस्था बाल्यावस्था, होता सब कुछ बहुत रंग रंगीला।
खेल- खिलौने, गुड्डे- गुड़िया दिल बेफिक्री से पूरा भरा है होता।

नहीं होती कोई चिंता, न होता है कोई कांधों पर बोझ का झोला। 
चेहरे पर मुस्कान लिए हरदम ही, बचपन करता रहता खेला।

दूजी अवस्था किशोरावस्था, होने लगता है मन थोड़ा छैल छबीला।
मौज मस्ती करना, दोस्त बनाना, कैरियर चुनने का होता झमेला।
 
अपने पराए का भेद समझते, सच्चाई और झूठ नजर आने लगता।
अपने में ही खोने लगता है वो, यौवन आकर सुनाता तान सुरीला।

तीसरी गृहस्थ जीवन, मिलता साथी और जीवन बनाता अलबेला।
मरने-जीने की संग कसमें खाते, बढ़ने लगता जिम्मेदारियों का झोला।

फर्ज निभाते, परिवार बनाते, संग जीवन बिताते  उमंगों से सजीला।
जीवन में खिलाकर खुशियों के फूल जीवन बनाते हैं मधुर रसीला।

चौथी अवस्था वृद्धावस्था, ढलती जवानी का शुरू हो जाता खेला।
दादा-दादी, नाना-नानी बन जाते बच्चों को लेना सिखाते फैसला।

जीवन के आखिरी पड़ाव में आकर जीवन के रंगीन चरण समझ में आते।
सोचते गर कोई पहले बताता तो हम भी जीवन बीताते मस्त मौला।

-"Ek Soch" #ज़िन्दगी_के_रंगीन_चरण_team_alfaz
#newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

 ज़िन्दगी के रंगीन चरण
जीवन है जन्म-मरण के बीच का खेला, चलता रहता यूं ही रेला।
कभी गमों के सागर जैसा, कभी होता है यहां खुशियों का मेला।

पहली अवस्था बाल्यावस्था, होता सब कुछ बहुत रंग रंगीला।
खेल- खिलौने, गुड्डे- गुड़िया दिल बेफिक्री से पूरा भरा है होता।

नहीं होती कोई चिंता, न होता है कोई कांधों पर बोझ का झोला। 
चेहरे पर मुस्कान लिए हरदम ही, बचपन करता रहता खेला।

दूजी अवस्था किशोरावस्था, होने लगता है मन थोड़ा छैल छबीला।
मौज मस्ती करना, दोस्त बनाना, कैरियर चुनने का होता झमेला।
 
अपने पराए का भेद समझते, सच्चाई और झूठ नजर आने लगता।
अपने में ही खोने लगता है वो, यौवन आकर सुनाता तान सुरीला।

तीसरी गृहस्थ जीवन, मिलता साथी और जीवन बनाता अलबेला।
मरने-जीने की संग कसमें खाते, बढ़ने लगता जिम्मेदारियों का झोला।

फर्ज निभाते, परिवार बनाते, संग जीवन बिताते  उमंगों से सजीला।
जीवन में खिलाकर खुशियों के फूल जीवन बनाते हैं मधुर रसीला।

चौथी अवस्था वृद्धावस्था, ढलती जवानी का शुरू हो जाता खेला।
दादा-दादी, नाना-नानी बन जाते बच्चों को लेना सिखाते फैसला।

जीवन के आखिरी पड़ाव में आकर जीवन के रंगीन चरण समझ में आते।
सोचते गर कोई पहले बताता तो हम भी जीवन बीताते मस्त मौला।

-"Ek Soch" #ज़िन्दगी_के_रंगीन_चरण_team_alfaz
#newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

 ज़िन्दगी के रंगीन चरण

#ज़िन्दगी_के_रंगीन_चरण_team_alfaz #newChallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is ज़िन्दगी के रंगीन चरण #YourQuoteAndMine