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शायद पढ़े नहीं किताबी अल्फाज़ मेरे तुमने जो कबसे क

शायद पढ़े नहीं किताबी अल्फाज़ मेरे तुमने
जो कबसे कोरे कागज़ो पर लिखरखे थे मैंने

हाँ बिखेरे थे गमो के कुछ मोती उसमे अपने
जो इस मुस्कान तले अपनी दबा रखे थे मैंने

अब तक  देखे नहीं  तुमने इश्क़ के जज्बात
जो आँखों की पलकों तले, छुपा रखे थे मैंने

अहसासों को  बखूबी  बयां किया था उसमे
जो दिलके दरिया में कब से,बैठा रखे थे मैंने

लिख दिए थे आगे के, उन हसीन लम्हों को
जो अपने ही ख्वाबो में तब सजा रखे थे मैंने

एक दफा नज़र डालते"आयु"की लेखनी पे
अपने दिल के सब हालात, बता रखे थे मैंने रोज गुज़ाते हो मेरी गलियों से, कभी यूँ ही हाल पूछ लिया करो,
पास आने को नहीं बोलती,पर कभी गलती से ही देख लिया करो.

____________________💓____________________

Waah Kya mast line hai na.
😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣
शायद पढ़े नहीं किताबी अल्फाज़ मेरे तुमने
जो कबसे कोरे कागज़ो पर लिखरखे थे मैंने

हाँ बिखेरे थे गमो के कुछ मोती उसमे अपने
जो इस मुस्कान तले अपनी दबा रखे थे मैंने

अब तक  देखे नहीं  तुमने इश्क़ के जज्बात
जो आँखों की पलकों तले, छुपा रखे थे मैंने

अहसासों को  बखूबी  बयां किया था उसमे
जो दिलके दरिया में कब से,बैठा रखे थे मैंने

लिख दिए थे आगे के, उन हसीन लम्हों को
जो अपने ही ख्वाबो में तब सजा रखे थे मैंने

एक दफा नज़र डालते"आयु"की लेखनी पे
अपने दिल के सब हालात, बता रखे थे मैंने रोज गुज़ाते हो मेरी गलियों से, कभी यूँ ही हाल पूछ लिया करो,
पास आने को नहीं बोलती,पर कभी गलती से ही देख लिया करो.

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