कितने भी हाथ पैरों को चलाया था उसने तब भी , जितने गैरो कमीनो ने जलाया था उसे अब भी। अगर उसको इंसाफ भी तो यहां पr ही नसीब नहीं है मरना जीना बराबर है , कमाया सब रद्दी ही है। #मुक्तक @four lines