वो रह कर भी साथ कहाँ रहते जिनकी नियत में है खोट छुपी बातें वो मीठी करते हरदम जिनकी होती है सोच बुरी वो रह कर भी साथ........ होठो पे सजती मुस्कान कुटील हर छन्न वो धरते रूप कई तन दिखता शीतल शांत भले अंदर जलती द्वेश की चिंगाड़ी वो रह कर भी साथ............ द्वेष भाव।