ड्राइंग रूम में कन्याओं की चहल पहल.. वो बारी बारी से हर कन्या के माथे पर तिलक लगाकर उनके चरणों का जल पीती.. पीछे से रसोई से आती बर्तनों की खटर पटर.. ड्राइंग रूम से ही वह चिल्लाई, अरी सीमा बिगाड़ ही देगी क्या आज सारे बर्तन के नैन नक्श, ज़रा संभाल के हाथ चला.. प्रतियुत्तर में भोली सी आवाज़, दीदी अभी जाने दो न मुझे, बाकी काम शाम को आकर करती हूँ। बस्ती के मंदिर में कन्या जीमने जाना है , देरी हुई तो कुछ नही मिलेगा फिर । #कन्याभोज #बालश्रम #doublestandards