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[कैद परिंदा] उसे चाह है,उन्मुक्त होकर तरु पर बैठ ग

[कैद परिंदा]
उसे चाह है,उन्मुक्त होकर
तरु पर बैठ गीत गाने की।
‌‌ऋतुराज से मिलकर
कुसुम को पाने की।
सरोवर में अपनी प्रतिकृति देख
खिलखिलाने की।
अपने साथियों के साथ
पवन को चीर,अंबर में जाने की।
स्वर्ण का महल छोड़
वाटिका में,अपना बसेरा बनाने की।
उसे चाह है
चार दीवारी से बाहर निकल
स्वच्छंद चहचहाने की।।

©Bhaरती
  #कैद_परिंदा🐦
bhartikotlu8620

Bhaरती

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कैद_परिंदा🐦 #Quotes

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