इतना बिखर गए कि नियत की ईमानदारी खुदगर्ज़ी सी लगती हैं, हर गवाही अब तो फर्जी सी लगती हैं, क्या बताऊं हाल इन रिश्तों का, यहां मिलना बस ईतेफाक और बिछड़ना मर्ज़ी सी लगती हैं....... ©Uday Kanwar #sepration ✍️