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आँखें बरसा रही है सूखी बूँदे,पेड़ से गिरे जैसे पत्

 आँखें बरसा रही है सूखी बूँदे,पेड़ से गिरे जैसे पत्ते हों..!
सँजो के रखी दिल की किताब में,जैसे ख्वाहिशों के जत्थें हों..!

©SHIVA KANT
  #Hum #khwahishen