है पड़ी मजधार में ये ज़िंदगानी देखता हूँ है अधूरी इश्क़ की मेरे कहानी देखता हूँ खटखटाकर दिल का दरवाज़ा चली जाती है वो मैं किनारे सा पड़ा, नदिया का पानी देखता हूँ --प्रशान्त मिश्रा नदिया का पानी देखता हूँ