लगाकर मुखोटे घूमते फरिश्तों के। वह जिनके जमीर में शैतान बैठा है। सियासी जंगल है हर एक डगर पे। सब करते हैं कहने को नादान बैठे हैं। काले बादल नीले बादल सफेद भी हैं! बरसात होती नहीं मोर प्यासे बैठे हैं। यह तेरी कैसी दुनिया है मेरे खुदा। सब कुछ है फिर भी उदास बैठे हैं। 🎀 Challenge-198 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।