हरिनाम-कीर्तनः कल्पतरू
भगवन्नाम अनंत माधुर्य, ऐश्वर्य और सुख की खान है। नाम और नामी में अभिन्नता होती है। नाम-जप करने से जापक में नामी के स्वभाव का प्रत्यारोपण होने लगता है और जापक के दुर्गुण, दोष, दुराचार मिटकर दैवी संपत्ति के गुणों का आधान (स्थापना) और नामी के लिए उत्कट प्रेम-लालसा का विकास होता है। भगवन्नाम, इष्टदेव के नाम व गुरुनाम के जप और कीर्तन से अनुपम पुण्य प्राप्त होता है। तुकारामजी कहते हैं- "नाम लेने से कण्ठ आर्द्र और शीतल होता है। इन्द्रियाँ अपना व्यापार भूल जाती हैं। यह मधुर सुंद