जीना नहीं मुझे सिमट के, चाहती हूँ जीऊँ मैं डट के | दुनिया मेरी और मैं दुनिया की, रहना नहीं मुझे बँट के | बेवजह बोलने से मौन होना,पैर छूने के बजाय गले लगाना और लग जाना | अनजान शहर में भी अजनबियों के लिए अपना बन जाना | दुनिया के भीड़ में, दुनिया से अलग, मुझे पसंद है अपनी अलग दुनिया बनाना | भूला दूँ दुनिया, भूल नहीं सकती मैं खुद को | वक्त कितना खिलाफ हो,मिटाऊँगी नहीं कभी अपने वजूद को | करती नहीं कभी स्वीकार,जिसमें दिल ना दे मेरा साथ | औरों से उम्मीद नहीं रखती,मुझे पसंद है थामना मेरा हाथ | वो कोशिश नहीं आसान होगा, ये भी नहीं कह सकती हर कोशिश कामयाब होगा, पर ये तो सच है पुरा मेरा हर अरमान होगा | जीना नहीं मुझे सिमट के..... #happiest_soul