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बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है | मौत से आंख म

बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |

सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||

दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी |
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ||


#adhoora_ishqq___ बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |

सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||
बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |

सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||

दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी |
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ||


#adhoora_ishqq___ बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |

सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||

बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है | मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है | सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल | यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है || ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख | क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है || #nojotothoughts #adhoora_ishqq___