तुम श्याम-राधा के मधुर एहसास जैसी हो, कभी तान मुरली की, कभी मधुमास जैसी हो। मीठे-मीठे तुम्हारे ख़याल हैं मीठी तुम्हारी बातें, कभी अठखेली सी, कभी उनके रास जैसी हो। यादें तुम्हारी तन्हाइयों में कभी खोने नहीं देतीं, कभी हसीं पल, कभी होली-उल्लास जैसी हो। आहटों से तुम्हारी सूना रहता नहीं मन-आँगन, कभी बयार बसंत की, कभी चौमास जैसी हो। दिल नहीं तन्हा, पूरी दुनिया आस-पास है 'धुन', कभी रंगीं क़िर्तास सी, कभी अक्कास जैसी हो।— % & क़िर्तास- काग़ज़ or Canvas अक्कास- चित्रकार Rest Zone 'काव्य सृजन' "तुम श्याम-राधा के मधुर एहसास जैसी हो, कभी तान मुरली की, कभी मधुमास जैसी हो।" -सचिन कुमार चौहान