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तेरा इन्तज़ार जब मुकद्दर ही है.. ये सुबह शाम आखिर

तेरा इन्तज़ार जब मुकद्दर ही है..
ये सुबह शाम आखिर किसलिए..

महज इत्तेफाक था हमारा मिलना..
जुदाई का इल्ज़ाम आखिर किसलिए..

छोड़कर जाना ही था चले जाते .. 
किया रिश्ता बदनाम आखिर किसलिए..

गैरो की महफिलों मे भी जा जाकर..
पुकारा हमारा ही नाम आखिर किसलिए..

तेरी बेवफाई तुझको ही मुबारक हो..
प्यार का यही अंजाम आखिर किसलिए..

बोल दिया होता रख देते कदमों में जान.. 
यह सब कत्लो-आम आखिर किसलिए..

#mkms
S.A.Q.

©Shahzad Ahmed Qureshi #CityWinter #mohabbat #इश्क #प्यार #बेवफाई
तेरा इन्तज़ार जब मुकद्दर ही है..
ये सुबह शाम आखिर किसलिए..

महज इत्तेफाक था हमारा मिलना..
जुदाई का इल्ज़ाम आखिर किसलिए..

छोड़कर जाना ही था चले जाते .. 
किया रिश्ता बदनाम आखिर किसलिए..

गैरो की महफिलों मे भी जा जाकर..
पुकारा हमारा ही नाम आखिर किसलिए..

तेरी बेवफाई तुझको ही मुबारक हो..
प्यार का यही अंजाम आखिर किसलिए..

बोल दिया होता रख देते कदमों में जान.. 
यह सब कत्लो-आम आखिर किसलिए..

#mkms
S.A.Q.

©Shahzad Ahmed Qureshi #CityWinter #mohabbat #इश्क #प्यार #बेवफाई